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मौलाना मोहम्मद अली जौहर - नज़्म

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मुजाहिदीन-ए-वतन में शुमार उन का है

हर एक क़ौल-ओ-अमल यादगार उन का है

है याद क़ौम को वो दास्ताँ शुजाअ'त की

चलाई आप ने तहरीक जब ख़िलाफ़त की

वो हुर्रियत का परस्तार क़ौम का रहबर

ख़ुदा ने क़ौम को ऐसा अता किया जौहर

वो क़ैद-ओ-बंद की झेली हैं सख़्तियाँ जिस ने

उड़ाईं जब्र-ओ-ग़ुलामी की धज्जियाँ जिस ने

वो अहल-ए-दर्द-ओ-सुख़नवर वो बे-मिसाल ख़तीब

सियासियात का माहिर सहाफ़ी और अदीब

मोहम्मद और अली का है फ़ैज़-ए-रूहानी

कि उन का नाम जहाँ में रहेगा ला-फ़ानी

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Sootradhar