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मेरे पिता

चोट पर मरहम हैं 
चलती श्र्वाश हैं
जज़्बात हैं
एक अहसास हैं
अग्नी में जल सा हैं,
मेरा 'पिता' हैं वो!
मेरा 'पिता' हैं वो!!

कभी दुत्कारता  हैं
कभी सहलाता हैं
अपने पेरों पर चलना सिखाता हैं,
जिंदगी क्या है?
बतलाता हैं,
मेरा 'पिता' हैं वो!
मेरा 'पिता
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