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ज़िन्दगी का स्पर्श

     ज़िन्दगी का स्पर्श


ज़िन्दगी का स्पर्श पाकर

फिर आज मन संभल गया

टूटे हुए अधूरे सपनों को

जीने का औवित्य मिल गया


ऊष्मता थी इन हौसलों में

जो मौसम भी बदल गया

वृक्ष की टहनी से

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