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नव चेतना

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चल उठ

नया सबेरा है

प्रखर सूर्य किरणों का डेरा है

विलम्ब ना कर और अब

जगा अंतःकरण की चेतना को 

नहीं तो खो जायेगी कहीं

नैतिकता और मूल्यधर्मिता

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