![मैं दीपक की लौ जलाऊँ's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40sudhir-badola/None/India_Diwali_1920_800_22-10-2022_11-14-54-AM.jpg)
मैं दीपक की लौ जलाऊँ
तुम माटी के दिये बनाओ
मैं दीपक की लौ जलाऊँ
अनुशय सारे अब बिसरा कर
टूटे रिश्तों को फिर अपनाऊँ ।
घर आँगन को कर रोशन
पटाखों का तुम्हें शोर सुनाऊँ
बाँट खील बताशे और मिष्ठान
मधुर पलों को गले लगाऊँ ।
राह दिखे जो मुरझाए चेहरे
उन कुंठित आँखों को चमकाऊँ
जिन घरों में छाया हो अंधेरा
Read More! Earn More! Learn More!