
कुछ खत्म होना जरुरी था,
कुछ शुरु होने के लिए ।
आज शांत रहने को मन कह रहा,
कुछ कहना जायज़ नहीं लग रहा !
हाँ टूटा हुआ हूँ,
खुद से रुठा हुआ हूँ !!
घूमता हूँ दर-बदर,
मगर,आवारा नहीँ,
वक़्त का मारा हुआ हूँ,
पर,बेचारा नही हूँ !!
हस मत ऐ जिंदगी,
मुझे गिरता हुआ देखकर,
सम्भल जाऊंगा,
अभी हारा नही हूँ !
अब ये नही पूछना,
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