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नारी तू शक्ति


क्षमताओं का असीमित भंडार हूँ 
माँ का प्यार, पापा की दुलार हूँ 
मत समझना हमें कमज़ोर 
मैं दो-धारी तलवार हूँ 
ममता ,त्याग , दया की रूप हूँ 
छेड़ोगे तो काली स्वरूप हूँ 
प्रेम की अभिव्यक्ति होती जहाँ से 
वो रश्मि- शृगार्ं हूँ 
निश्छल, पवित्र, मधुक्रीत वीणा की तार
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