तुम? तुम कौन हो?
आईने से एक प्रतिबिंब पूछ रहा है,
हूबहू जो मुझसा बुझ रहा है,
हारे क्या, और जीत क्या लिए,
ज़िंदग गुजर गई, सीख क्या लिए,
तमाम उम्र भागे तुम पा लेने की चाह में,
फ़ाज़ दिख तो रहे हो ज़िंदगी की राह में,
मैं? मुझसे पूछ रहे हो?
परछाई हो की कोई जादू दिखा रहे हो,
यू कुरेद कुरेद के कौन सी बात जता रहे हो,
मैंने कमा ली है दौलत, शोहरत, पैसे और नाम,
तुम क्या जानो, कितनी मेहनत का ये है इनाम,
हँस हँस के प्रतिबिंब बोल रहा है,
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