
पीड़ा का ताला देख
लौट गया बेरंग
एक सुबह मेरे द्वारे आया था बसन्त
मैं पतझड़ अनुरागी
करती रही बसन्त आगमन की
अंतहीन प्रतीक्षा
ऋतुएं नही&
लौट गया बेरंग
एक सुबह मेरे द्वारे आया था बसन्त
मैं पतझड़ अनुरागी
करती रही बसन्त आगमन की
अंतहीन प्रतीक्षा
ऋतुएं नही&
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