
सदियों से
जमी जड़ता को तोड़
अन्याय से स्याही निचोड़
अधिकारों का नया सवेरा लिख देता है
जब क्रांति करता है
महज धूप का एक छोटा सा टुकड़ा
अत्याचारों से डरे सहमे
कुम्लहाये से मन में
सत्यमेव जयते
का विश्वास जगा देती है
जब क्रांति करती है
महज एक निर्भीक कलम
घटाटोप अंधकार
Read More! Earn More! Learn More!