सदियों से
दासता की
पैहरन मे जकड़ी ऊकड़ी सी बैठी रही
अपमान को
घूंट घूंट पीती रही
पीड़ा मे लिपटी
सीली सी जिंदगी जीती रही
अन्याय के पैरों तले
घास
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सदियों से
दासता की
पैहरन मे जकड़ी ऊकड़ी सी बैठी रही
अपमान को
घूंट घूंट पीती रही
पीड़ा मे लिपटी
सीली सी जिंदगी जीती रही
अन्याय के पैरों तले
घास