तिरा मजनूँ हूँ सहरा की क़सम है's image
0172

तिरा मजनूँ हूँ सहरा की क़सम है

ShareBookmarks

तिरा मजनूँ हूँ सहरा की क़सम है

तलब में हूँ तमन्ना की क़सम है

सरापा नाज़ है तू ऐ परी-रू

मुझे तेरे सरापा की क़सम है

दिया हक़ हुस्न-ए-बाला-दस्त तुजकूं

मुझे तुझ सर्व-ए-बाला की क़सम है

किया तुझ ज़ुल्फ़ ने जग कूँ दिवाना

तिरी ज़ुल्फ़ाँ के सौदा की क़सम है

दो-रंगी तर्क कर हर इक से मत मिल

तुझे तुझ क़द्द-ए-राना की क़सम है

किया तुझ इश्क़ ने आलम कूँ मजनूँ

मुझे तुझ रश्क-ए-लैला की क़सम है

'वली' मुश्ताक़ है तेरी निगह का

मुझे तुझ चश्म-ए-शहला की क़सम है

Read More! Learn More!

Sootradhar