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हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था

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हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था
व्यक्ति को मैं नहीं जानता था
हताशा को जानता था

मैंने हाथ बढ़ाया

इसलिए मैं उस व्यक्ति के पास गया
मैंने हाथ बढ़ाया
मेरा हाथ पकड़ कर वह खड़ा
हुआ
मुझे वह नहीं जानता था
मेरे हाथ बढ़ाने को जानता था
हम दोनों साथ चले
दोनों एक दूसरे को नहीं जानते थे
साथ चलने को जानते थे।।
पानी को पानी की गठरी में बांध दिया

पानी को
पानी की गठरी में बांध दिया
कपड़े को कपड़े की गठरी में
पानी की गठरी है तालाब
कमल गठानें हैं
खिले-खुले अधखुले कमल से

खिले-खुले अधखुले कमल से
अपने-अपने में बहता पानी
अपने तुपने में
फिर तुपने में बहता
जल की बड़ी बूंद तालाब
जल को पानी की गठरी में बांध दिया

उससे यहीं मिलने का निश्चय

उससे यहां मिलने के निश्चय को
यहीं मिलने के निश्चय को बांध दिया।।

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Sootradhar