
उसने लौटने का कहा ज़रूर था। यह दोष स्मृति का है कि न वह दिन पास रख
सकी न वह फूल जिसकी ओस बूँद में उसे छाया-सा उतरना है। उसने लौटने का
कहा ज़रूर था। यह खोट इस होने की है कि वह उस ओर बहा ही नहीं जहाँ नदी
के घाट पर वह आकाँक्षा का आँचल फहराने वाली है। उसने लौटने का कहा
ज़रूर था। यह मुश्किल इस हर ओर फैले आईने की है कि हर लौटना जाना
दिखाई देता है।
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