![यह बिनती रहुबीर गुसाईं's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/sootradhar_post/goswami-tuldsdsidas.jpg)
यह बिनती रहुबीर गुसाईं।
और आस बिस्वास भरोसो, हरौ जीव-जड़ताई॥१॥
चहौं न सुगति, सुमति-संपति कछु रिधि सिधि बिपुल बड़ाई।
हेतु-रहित अनुराग रामपद, बढ़ अनुदिन अधिकाई॥२॥
कुटिल करम लै जाइ मोहि, जहॅं-जहॅं अपनी बरियाई।
तहॅं-तहॅं जनि छिन छोह छाँड़िये, कमठ-अण्डकी नाई॥३॥
यहि जगमें, जहॅं लगि या तनुकी, प्रीति प्रतीति सगाई।
ते सब तुलसिदास प्रभु ही सों, होहिं सिमिति इक ठाई॥४॥
Read More! Learn More!