कला के अभ्यासी's image
0179

कला के अभ्यासी

ShareBookmarks


कहेंगे जो वक्ता बन कर भले वे विकल हों,
कला के अभ्यासी क्षिति तल निवासी जगत के
किसी कोने में हों, समझ कर ही प्राण मन को,
करेंगे चर्चाएँ मिल कर स्मुत्सुक हॄदय से ।

Read More! Learn More!

Sootradhar