क्या यही मिला है
हम भूल जाएँ उसे
और प्रतीक्षा करें
बस यही
गिलहरी आए
ख़ाली आँखों में ताक-झाँक
फिर भाग जाए आम के फूलों में
बहुत दिनों से दिखा भी नहीं
प्रेम के पाश में बीच गली पड़ा हुआ
वह एक जोड़ा गिरगिट का
श्वेताम्बरी बकरी वह
जो चाँदनी के फूलों के नीचे
देह उठाए खड़ी है
वह तरुण
जिसकी आँखों के शिशु में
आन ही पहुँची है वह इच्छा का रूप धरे
भूल जाएँ उसे
और प्रतीक्षा करें
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