![अभी टिमटिमाते थे's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/sootradhar_post/tji.jpg)
अभी टिमटिमाते थे
अब मुँहा-मुँही आग पकड़ते हैं
टेसू के फूल
इच्छा से
अनिच्छा से
जलती है वह
जो देह है आत्मा की
कभी-कभी
सेमल के सुर्ख में अटक कर
भ्रम होने लगता है ---
वह जो अग्नि है
कहाँ-कहाँ टहल आती है
देह की तलाश में
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अभी टिमटिमाते थे
अब मुँहा-मुँही आग पकड़ते हैं
टेसू के फूल
इच्छा से
अनिच्छा से
जलती है वह
जो देह है आत्मा की
कभी-कभी
सेमल के सुर्ख में अटक कर
भ्रम होने लगता है ---
वह जो अग्नि है
कहाँ-कहाँ टहल आती है
देह की तलाश में