मैं तितली हूँ's image
0275

मैं तितली हूँ

ShareBookmarks

मैं उड़ी इधर, मैं उड़ी उधर,
मैं तितली हूँ, उड़ती दिन-भर।

हर फूल मुझे रंगीन लगा
हर डाली मुझको प्यारी है,
जब भी मैं यहाँ-वहाँ उड़ती
तब संग-संग हँसती क्यारी है।
मैं उड़ी कल्पना के नभ में--
अपने सतरंगे पंखों पर।

मैं यहाँ गयी, मैं वहाँ गयी
लेकर पराग घर आयी हूँ,
मैं सबको अच्छी लगती हूँ
मैं सबके मन को भायी हूँ।
मैं सुन्दर सपने देख रही--
इन पंखुड़ियों के बिस्तर पर।

Read More! Learn More!

Sootradhar