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अब कोई सिलसिला नहीं बाक़ी

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अब कोई सिलसिला नहीं बाक़ी

दोस्तों में वफ़ा नहीं बाक़ी

ज़िंदगी तुझ पे राय क्या दू मैं

अब कोई तब्सिरा नहीं बाक़ी

वक़्त-बे-वक़्त क्यूँ बरसते हैं

बादलों में हया नहीं बाक़ी

ज़िंदगी तुझ से और लड़ने का

मुझ में अब हौसला नहीं बाक़ी

रंज, उलझन, घुटन, परेशानी

रोग कोई रहा नहीं बाक़ी

अपनी मंज़िल को छू लिया मैं ने

कोई मक़्सद रहा नहीं बाक़ी

मेरे दुश्मन के क़ल्ब में फ़िल-वक़्त

जंग का हौसला नहीं बाक़ी

जीत रक्खा है मैं ने अपने को

मुझ में कोई अना नहीं बाक़ी

अश्क आँखों में गए हैं 'सिया'

ज़ब्त दिल पर ज़रा नहीं बाक़ी

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Sootradhar