ग़लत समय में सही बयानी's image
0153

ग़लत समय में सही बयानी

ShareBookmarks

ग़लत समय में सही बयानी
सब मानी निकले बेमानी

जिसने बोया, उसने काटा
हुई मियाँ यह बात पुरानी

किसको ज़िम्मेदारी सौंपे
हर सूरत जानी पहचानी

कौन बनाए बिगड़ी बातें
सीख गए सब बात बनानी

कुछ ही मूल्य अमूल्य बचे हैं
कौन करे उनकी निगरानी

आन-मान पर जो न्यौछावर
शख्स कहाँ ऐसे लासानी

जीना ही दुश्वार हुआ है
मरने में कितनी आसानी

विद्वानों के छक्के छूटे
ज्ञान बघार रहे अज्ञानी

जबसे हमने बाज़ी हारी
उनको आई शर्त लगानी

कुर्सी-कुर्सी होड़ लगी है
दफ्तर-दफ्तर खींचा-तानी

जन-मन-गण उत्पीड़ित पीड़ित
जितनी व्यर्थ गई कुरबानी

देश बड़ा हैं, देश रहेगा
सरकारे तो आनी-जानी

हम न सुनेंगे, हम न कहेंगे
कोउ नृप होय,हमै का हानी?

Read More! Learn More!

Sootradhar