![एक आदमी दो पहाड़ों को कुहनियों से ठेलता's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/sootradhar_post/shamsher-bahadur-singh_1497272250.webp)
एक आदमी दो पहाड़ों को कोहनियों से ठेलता
पूरब से पच्छिम को एक कदम से नापता
बढ़ रहा है
कितनी ऊंची घासें चांद-तारों को छूने-छूने को हैं
जिनसे घुटनों को निकालता वह बढ़ रहा है
अपनी शाम को सुबह से मिलाता हुआ
फिर क्यों
दो बादलों के तार
उसे महज उलझा रहे हैं?
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