
बगिया में नाचेगा मोर,
देखेगा कौन?
तुम बिन ओ मेरे चितचोर,
देखेगा कौन?
नदिया का यह नीला जल, रेतीला घाट,
झाऊ की झुरमुट के बीच, यह सूनी बाट,
रह-रहकर उठती हिलकोर,
देखेगा कौन?
आँखड़ियों से झरते लोर,
देखेगा कौन?
बौने ढाकों का यह बन, लपटों के फूल,
पगडंडी के उठते पाँव रोकते बबूल,
बौराए आमों की ओर,
देखेगा कौन?
पाथर-सा ले हिया कठोर,
देखेगा कौन?
नाचती हुई फुलसुंघनी, बनतीतर शोख़,
घासों में सोनचिरैया, डाल पर महोख,
मैना की यह पतली ठोर,
देखेगा कौन?
कलंगीवाले ये कठफोर,
देखेगा कौन?
आसमान की ऐंठन-सी, धुएँ की लकीर,
ओर-छोर नापती हुई जलती शहतीर,
छू-छूकर साँझ और भोर,
देखेगा कौन?
दुखती यह देह पोर-पोर,
देखेगा कौन?
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