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और वाइज़ के साथ मिल ले शैख़

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और वाइज़ के साथ मिल ले शैख़

खोल आपस के बीच किल्ले शैख़

तीर सा क़द कमान कर अपना

खींच फ़ाक़ों के बीच चिल्ले शैख़

छोड़ तस्बीह हज़ार दानों की

हाथ में अपने एक दिल ले शैख़

भूँक मत ग़ैर पर न कर हमला

मर्द है नफ़स पर तो पिल ले शैख़

ख़ाल-ए-ख़ूबाँ सीं तुझ कूँ क्या निस्बत

बस हैं बकरे के तुझ को तिल्ले शैख़

उस से संगीं-दिलाँ का शौक़ न कर

मत तू सीने पे अपने सिल ले शैख़

छोड़ दे ज़ोहद-ए-ख़ुश्क ये प्याला

ख़ुश हो कर 'आबरू' से मिल ले शैख़

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Sootradhar