आशिक़ बिपत के मारे रोते हुए जिधर जाँ's image
0119

आशिक़ बिपत के मारे रोते हुए जिधर जाँ

ShareBookmarks

आशिक़ बिपत के मारे रोते हुए जिधर जाँ

पानी सीं उस तरफ़ की राहें तमाम भर जाँ

मर कर तिरे लबाँ की सुर्ख़ी के तईं न पहुँचे

हर चंद सई कर कर याक़ूत-ओ-ल'अल-ओ-मर्जां

जंगल के बीच वहशत घर में जफ़ा ओ कुल्फ़त

ऐ दिल बता कि तेरे मारे हम अब किधर जाँ

इक अर्ज़ सब सीं छुप कर करनी है हम कूँ तुम सीं

राज़ी हो गर कहो तो ख़ल्वत में आ के कर जाँ

Read More! Learn More!

Sootradhar