
वो जब कोई भंवर पैदा करेगा।
बचाने का भी घर पैदा करेगा।।
लगाओ तो वफाओं का शजर तुम।
वो शाखों पर समर पैदा करेगा।।
ये सूखे आँसुओं का पूछना है।
दुआ में कब असर पैदा करेगा।।
वो चाहेगा अगर जल्वा दिखाना।
तो आँखों में हुनर पैदा करेगा।।
भटकना भी ज़रूरी है, नहीं तो।
किसे वो रहगुज़र पैदा करेगा।।
वो देखेगा फ़ना होने का मंजर।
हबाबों को अगर पैदा करेगा।।
न जो 'सर्वेश' सूरज से मिटेंगे।
अंधेरे वो बशर पैदा करेगा।।
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