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अहदे-गुमगश्ता की तस्वीर दिखाती क्यों हो?

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अहदे-गुमगश्ता की तस्वीर दिखाती क्यों हो?
एक आवारा-ए-मंजिल को सताती क्यों हो?

वो हसीं अहद जो शर्मिन्दा-ए-ईफा न हुआ
उस हसीं अहद का मफहूम जलाती क्यों हो?

ज़िन्दगी शोला-ए-बेबाक बना लो अपनी
खुद को खाकस्तरे-खामोश बनाती क्यों हो?

मैं तसव्वुफ़ के मराहिल का नहीं हूँ कायल
मेरी तस्वीर पे तुम फूल चढ़ाती क्यों हो

कौन कहता है की आहें हैं मसाइब का इलाज़
जान को अपनी अबस रोग लगाती क्यों हो?

एक सरकश से मुहब्बत की तमन्ना रखकर
खुद को आईने के फंदे में फंसाती क्यों हो?

मै समझता हूँ तकद्दुस को तमद्दुन का फरेब
तुम रसूमात को ईमान बनती क्यों हो?

जब तुम्हे मुझसे जियादा है जमाने का ख़याल
फिर मेरी याद में यूँ अश्क बहाती क्यों हो?

तुममे हिम्मत है तो दुनिया से बगावत कर लो
वरना माँ बाप जहां कहते हैं शादी कर लो

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Sootradhar