
बुझ गया रौशन सवेरा माँ तिरे जाने के बा'द
छा गया हर सू अंधेरा माँ तिरे जाने के बा'द
ग़म का बादल है घनेरा माँ तिरे जाने के बा'द
दम घुटा जाता है मेरा माँ तिरे जाने के बा'द
किस के चेहरे में तलाशूँ तेरे चेहरे की झलक
किस के आँचल में मिलेगी तेरी ममता की महक
किस की बातों में सुनूँगी तेरे लहजे की खनक
किस सितारे में बसेगी तेरी आँखों की चमक
ढूँढती हूँ अक्स तेरा माँ तिरे जाने के बा'द
दम घुटा जाता है मेरा माँ तिरे जाने के बा'द
फ़ोन पर किस को सुनाऊँगी मैं अपना हाल-ए-ज़ार
किस की बातें सुन के आएगा मिरे दिल को क़रार
कौन पोंछेगा मिरे बहते हुए अश्कों की धार
कौन पानी पढ़ के देगा होगा जब मुझ को बुख़ार
दिल में वहशत का बसेरा माँ तिरे जाने के बा'द
दम घुटा जाता है मेरा माँ तिरे जाने के बा'द
कौन अब मेरे लिए दस्त-ए-दुआ' फैलाएगा
किस तरह आफ़ात का सदक़ा उतारा जाएगा
कौन मरहम ज़ख़्म-ए-जाँ पर प्यार से रख पाएगा
दर्द की शिद्दत में मेरी पीठ को सहलाएगा
रंज-ओ-ग़म ने मुझ को घेरा माँ तिरे जाने के बा'द
दम घुटा जाता है मेरा माँ तिरे जाने के बा'द
ऐ कराची ये बता अब किस से मिलने आऊँगी
किस की बाँहों में सिमट कर चैन ओ सुख मैं पाऊँगी
माँ तिरी फ़ुर्क़त का सदमा मैं नहीं सह पाऊँगी
किस तरह यादों से तेरी अपना दिल बहलाऊँगी
कल-अदम मैके का फेरा माँ तिरे जाने के बा'द
दम घुटा जाता है मेरा माँ तिरे जाने के बा'द
तू तो बाग़-ए-ख़ुल्द में मेहमान-ए-यज़्दाँ हो गई
और यहाँ पर मेरी दुनिया पल में वीराँ हो गई
दफ़अ'तन इज़्न-ए-सफ़र पर ख़लक़ हैराँ हो गई
ज़िंदगी भी एक लम्हा को परेशाँ हो गई
घर में ख़ामोशी का डेरा माँ तिरे जाने के बा'द
दम घुटा जाता है मेरा माँ तिरे जाने के बा'द
मग़्फ़िरत की तुझ पे मौला अब फ़रावानी करे
जन्नत-उल-फ़िरदौस में भी रहमत अर्ज़ानी करे
सब्ज़ा-ए-नौरस्ता उस घर की निगहबानी करे
आसमाँ तेरी लहद पर शबनम अफ़्शानी करे
हक़ अदा कर पाँव तेरा माँ तिरे जाने के बा'द
दम घुटा जाता है मेरा माँ तिरे जाने के बा'द