![ओ पिया, पानी बरसा's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/sootradhar_post/agye_sa_sdisdu_d_viudsvuidsvi_isdiu_s__idud_iduj_i.jpg)
ओ पिया, पानी बरसा !
घास हरी हुलसानी
मानिक के झूमर-सी झूमी मधुमालती
झर पड़े जीते पीत अमलतास
चातकी की वेदना बिरानी।
बादलों का हाशिया है आस-पास
बीच लिखी पाँत काली बिजली की
कूँजों के डार-- कि असाढ़ की निशानी !
ओ पिया, पानी !
मेरा हिया हरसा।
खड़-खड़ कर उठे पात, फड़क उठे गात।
देखने को आँखें, घेरने को बाँहें,
पुरानी कहानी !
ओठ को ओठ, वक्ष को वक्ष--
ओ पिया, पानी !
मेरा जिया तरसा।
ओ पिया, पानी बरसा।
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