मैं वह धनु हूँ's image
0301

मैं वह धनु हूँ

ShareBookmarks

मैं वह धनु हूँ, जिसे साधने
में प्रत्यंचा टूट गई है।
स्खलित हुआ है बाण, यदपि ध्वनि
दिग्दिगन्त में फूट गई है--
प्रलय-स्वर है वह, या है बस
मेरी लज्जाजनक पराजय,
या कि सफलता ! कौन कहेगा
क्या उस में है विधि का आशय !
क्या मेरे कर्मों का संचय
मुझ को चिन्ता छूट गई है--
मैं बस जानूँ, मैं धनु हूँ, जिस
की प्रत्यंचा टूट गई है!

Read More! Learn More!

Sootradhar