![जब आवे दिन's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/sootradhar_post/agye_sa_sdisdu_d_viudsvuidsvi_isdiu_s__idud_iduj_i.jpg)
जब आवे दिन
तब देह बुझे या टूटे
इन आँखों को
हँसती रहने देना!
हाथों ने बहुत अनर्थ किये
पग ठौर-कुठौर चले
मन के
आगे भी खोटे लक्ष्य रहे
वाणी ने (जाने अनजाने) सौ झूठ कहे
पर आँखों ने
हार, दुःख, अवसान, मृत्यु का
अंधकार भी देखा तो
सच-सच देखा
इस पार
उन्हें जब आवे दिन
ले जावे
पर उस पार
उन्हें
फिर भी आलोक कथा
सच्ची कहने देना
अपलक
हँसती रहने देना
जब आवे दिन!
Read More! Learn More!