इतराया यह और ज्वार का's image
0306

इतराया यह और ज्वार का

ShareBookmarks

इतराया यह और ज्वार का
क्वाँर की बयार चली,
शशि गगन पार हँसे न हँसे--
शेफाली आँसू ढार चली !
नभ में रवहीन दीन--
बगुलों की डार चली;
मन की सब अनकही रही--
पर मैं बात हार चली !

Read More! Learn More!

Sootradhar