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समय के बीते हुए से

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प्राप्त कर लेना क्षमा सहज सम्भवनहीं है अब।
जल पर नहीं, पिघलेहुए इस्पात पर पड़ती है पाँवों
कीछाप। रेतीले मैदान में स्काइस्क्रैपरोंकी कतारें उग
आयी हैं। कोहरा नहींहैं ताँबे के तारों का घना बुना हुआ
इन्द्रजाल। प्राप्त कर लेना क्षमासहज सम्भव नहीं है
टाइपराइटर से,टेलीफ़ोन-बूथ से। समय के बीते हुएसे
हम केवल घृणा माँग सकते हैं।

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Sootradhar