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हाथ (अमृता शेरगिल के लिए )

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वक़्त के ताबूत में सिमट नहीं पाते हैं
गर्म उसके सफ़ेद हाथ । लाल फूलों से
ढका पड़ा रहता है सिकुड़ा हुआ
उसका पूरा जिस्म एक अन्धेरे कोने में
ख़ासकर बुझी हुई आँखों के पीले
तालाब । ख़ासकर टूटे हुए स्तनों के
नीले स्तूप । लेकिन सफ़ेद उसके
गर्म हाथ ताबूत से बाहर थरथराते रहते
हैं ।

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Sootradhar