![भूलने की भाषा's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/sootradhar_post/Poet_Rajesh_Joshi.jpg)
भूलने की भाषा
पानी की भाषा में एक नदी
मेरे बहुत पास से गुज़री।
उड़ने की भाषा में बहुत से परिन्दे
अचानक फड़फड़ा कर उड़े
आकाश में बादलों से थोड़ा नीचे।
एक चित्र लिपि में लिखे पेड़ों पर
बहुत सारे पत्ते हिले एक साथ
पत्तों के हिलने में सरसराने की भाषा थी।
लगा जैसे तुम यहीं कहीं हो
देह की भाषा में अचानक कहीं से आती हुई।
भूलने की भाषा में कुछ न भूले जा सकने वाले को
बुदबुदाती हुई।
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