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लग जा गले के फिर ये हसीं रात हो न हो

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लग जा गले के फिर ये हसीं रात हो न हो,
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो ।

हमको मिली हैं आज ये घड़ियाँ नसीब से
जी भर के देख लीजिए हमको क़रीब से
फिर आपके नसीब में ये बात हो न हो |

पास आइए के हम नहीं आएँगे बार-बार
बाँहें गले में डाल के हम रो लें ज़ार-ज़ार
आँखों से फिर ये प्यार की बरसात हो न हो |

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Sootradhar