पगड़ी सँभाल जट्टा's image
0768

पगड़ी सँभाल जट्टा

ShareBookmarks

पगड़ी सँभाल जट्टा उड़ी चली जाए रे
पगड़ी की गाँठ पे कोई हाथ ना लगाए रे

मोड़ दे हवा के रुख़ को जो वो आड़े आए रे
रोक दे उमड़ती रुत को आँख जो दिखाए रे
सरकटी उम्मीदों के पल याद में सजाए रे
ख़ून से सनी मिट्टी को भूल तो ना जाए रे
देख देती है वो क़समें अब मचा दे हाय रे
फिर भले ही सारी पगड़ी ख़ून में नहाए रे
पगड़ी सँभाल जट्टा...

Read More! Learn More!

Sootradhar