थकान मेरे पैरों में घिसट रही है
मेरी ज़ुबान में लड़खड़ा रही है
मेरी पलकों में हो रही है बोझिल
जीत में मिली थकान को
ख़ुशी लपककर चाट चुकी है
प्रतीक्षा से उपजी थकान को
प्रेम ने बांहों में भर लिया है
इतिहास में सुस्ताती थकान
विवादास्पद बना दी गयी है
चलना शुरू करने जितनी नहीं
रोना शुरू करने जितनी पुरानी
कल की थकान मेरे कल में उतर रही है.
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