![मंजर's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/sootradhar_post/parveen.webpaki.jpg)
कच्चा-सा इक मकाँ, कहीं आबादियों से दूर
छोटा-सा इक हुजरा, फ़राज़े-मकान पर
सब्ज़े से झाँकती हुई खपरैल वाली छत
दीवार-ए-चोब पर कोई मौसम की सब्ज़ बेल
उतरी हुई पहाड़ पर बरसात की वह रात
कमरे में लालटेन की हल्की-सी रौशनी
वादी में घूमता हुआ इक चश्मे-शरीर
खिड़की को चूमता हुआ बारिश का जलतरंग
साँसों में गूँजता हुआ इक अनकही का भेद !
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