हमारे दरमियाँ ऐसा कोई रिश्ता नहीं था's image
0640

हमारे दरमियाँ ऐसा कोई रिश्ता नहीं था

ShareBookmarks

हमारे दरमियाँ ऐसा कोई रिश्ता नहीं था
तेरे शानों पे कोई छत नहीं थी
मेरे ज़िम्मे कोई आँगन नहीं था
कोई वादा तेरी ज़ंज़ीर-ए-पा बनने नहीं पाया
किसी इक़रार ने मेरी कलाई को नहीं थामा
हवा-ए-दश्त की मानिन्द
तू आज़ाद था
रास्ते तेरी मर्ज़ी के तबे थे
मुझे भी अपनी तन्हाई पे
देखा जाये तो
पूरा तसर्रुफ़ था
मगर जब आज तू ने
रास्ता बदला
तो कुछ ऐसा लगा मुझ को
के जैसे तूने मुझ से बेवफ़ाई की

 

Read More! Learn More!

Sootradhar