यह धन धर्म ही तें पायो's image
0235

यह धन धर्म ही तें पायो

ShareBookmarks

यह धन धर्म ही तें पायो।
नीके राखि जसोदा मैया नारायण ब्रज आयो॥१॥
जा धन को मुनि जप तप खोजत वेदहुं पार न पायो।
सों धन धर्यो क्षीर सागर में ब्रह्मा जाय जगायो॥२॥
जा धन तें गोकुल सुख लहियत, सगरे काज संवारे।
सो धन वार वार उर अंतर, परमानंद विचारे॥३॥

 

Read More! Learn More!

Sootradhar