रक्षा बंधन को दिन आयो।
गर्गादि सब देव बुलाये लालहिं तिलक बनायो॥१॥
सब गुरुजन मिल देत असीस चिरंजीयो ब्रजरायो।
बाढो प्रताप नित या ढोटा को परमानंद जस गायो॥२॥
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रक्षा बंधन को दिन आयो।
गर्गादि सब देव बुलाये लालहिं तिलक बनायो॥१॥
सब गुरुजन मिल देत असीस चिरंजीयो ब्रजरायो।
बाढो प्रताप नित या ढोटा को परमानंद जस गायो॥२॥