पतंग की गुडी उडावन's image
0154

पतंग की गुडी उडावन

ShareBookmarks

पतंग की गुडी उडावन लागे व्रजबाल॥
सुंदर पताका बांधे मनमोहन बाजत मोरन के ताल॥१॥
कोउ पकरत कोउ खेंचत कोउ चंचल नयन विशाल।
कोउ नाचत कोउ करत कुलाहल कोउ बजावत बहोत करताल॥२॥
कोउ गुडीगुडीसो उरझावत आवत खेंचत दोरिरसाल।
परमानंद स्वामी मनमोहन रीझ रहेत एकही ताल॥३॥

Read More! Learn More!

Sootradhar