मैया मोहिं ऐसी दुलहिन भावै।
का गोप की तनक ढोठिनियाँ,रुनक झुनक चलि आवै॥
कर-कर पाक रसाल आपने कर मोहिं परसि जिमावै।
कर अंचर पट ओट बबातें, ठाढी ब्यार ढुरावै॥
मोहिं उठाय गोद बैठारै, करि मनुहार मनावै।
अहो मेरे लाल कहो बाबा तें, तेरो ब्याह करावै।
नंदराय नंदरानी देउ मिलि, मोद समुद्र बढावै।
'परमानंददास को ठाकुर, बेद विमल जस गावै॥
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