गोपी प्रेम की ध्वजा's image
0476

गोपी प्रेम की ध्वजा

ShareBookmarks

गोपी प्रेम की ध्वजा ।
निज गोपाल किते अपने वश उरधर श्याम भुजा ॥१॥
शुक मुनि व्यास प्रशंसा कीनी ऊधो संत सराही ।
भुरि भाग्य गोकुल की वनिता अति पुनीत भवमांहि ॥२॥
कहा भयो जो विप्रकुल जनम्यो जो हरिसेवा नाही ।
सोई कुलीन दास परमानंद जो हरि सन्मुख धाई ॥३॥

Read More! Learn More!

Sootradhar