बना गुलाब तो कांटे चुभा's image
0230

बना गुलाब तो कांटे चुभा

ShareBookmarks

बना गुलाब तो कांटे चुभा गया इक शख्स
हुआ चिराग तो घर ही जला गया इक शख्स

तमाम रंग मेरे और सारे ख्वाब मेरे
फ़साना कह के फ़साना बना गया इक शख्स

मैं किस हवा में उड़ू किस फ़ज़ा में लहराऊ
दुखों के जाल हर-सु बिछा गया इक शख्स

पलट सकूँ में न आगे बढ़ सकूँ जिस पर
मुझे ये कौन से रस्ते लगा गया इक शख्स

मुहब्बतें भी अजीब उसकी नफरतें भी कमाल
मेरी तरह का ही मुझ में समां गया इक शख्स

वो महताब था मरहम-बा-दस्त आया था
मगर कुछ और सिवा दिल दुखा गया इक शख्स

खुला ये राज़ के आइना-खाना है दुनिया
और इस में मुझ को तमाशा बना गया इक शख्स

 

Read More! Learn More!

Sootradhar