कविनामा-1(आलोकधन्वा के लिए)'s image
0129

कविनामा-1(आलोकधन्वा के लिए)

ShareBookmarks


खजूर की तरह है मेरा यह मित्र
आप कहेंगे भला यह कैसा मित्र हुआ
छाया को नाम नहीं और फल भी लागे दूर

जानता हूँ-- इकहरा खड़ा रहता है मेरा यह मित्र
उतनी ही घाम झेलता है
जितनी की आप इसकी डालियों के नीचे

रहें फल तो भले दूर लगें
पर अनिवार्य श्रम से हाथ आने पर
तृप्त कर देते हैं काया।

Read More! Learn More!

Sootradhar