अन्तिम प्रहर's image
0125

अन्तिम प्रहर

ShareBookmarks

अन्तिम प्रहर
है वही अन्तिम प्रहर
सोई हुई हैं हरकतें
इन खनखनाती बेड़ियों में लिपट कर

है वही अन्तिम प्रहर
है वही मेरे हृदय में एक चुप-सी
कान में आहट किसी की
थरथराती है
किसी भूले हुए की
मन्द स्मिति ख़ामोश स्मृति में

कौन था वह
जो अभी
अपनी कथा कह कर
हुआ रुख़सत
व्यथा थी वह
अभी तक
थरथराती है
समय की फाँक में ख़ामोश

ले रहे तारे विदा
नभ हो रहा काला
भोर से पहले
क्षितिज पर
काँपती है
एक झिलमिल आभ नीली
हो वहीं तुम
रात के अन्तिम प्रहर में
लिख रहे कुछ पंक्तियाँ
सिल पर समय की
टूटना है जिसे आख़िरकार
होते भोर

Read More! Learn More!

Sootradhar