उधर उस की निगह का नाज़ से आ कर पलट जाना's image
0142

उधर उस की निगह का नाज़ से आ कर पलट जाना

ShareBookmarks

उधर उस की निगह का नाज़ से आ कर पलट जाना

इधर मरना तड़पना ग़श में आना दम उलट जाना

कहूँ क्या क्या मैं नक़्शे उस की नागिन ज़ुल्फ़ के यारो

लिपटना उड़ के आना काट खाना फिर पलट जाना

अगर मिलने की धुन रखना तो इस तरकीब से मिलना

सरकना दूर हटना भागना और फिर लिपट जाना

न मिलने का इरादा हो तो ये अय्यारियाँ देखो

हुमकना आगे बढ़ना पास आना और हट जाना

ये कुछ बहरूप-पन देखो कि बन कर शक्ल दाने की

बिखरना सब्ज़ होना लहलहाना फिर सिमट जाना

ये यकताई ये यक-रंगी तिस ऊपर ये क़यामत है

न कम होना न बढ़ना और हज़ारों घट में बट जाना

'नज़ीर' ऐसा जो चंचल दिलरुबा बहरूपिया होवे

तमाशा है फिर ऐसे शोख़ से सौदे का पट जाना

Read More! Learn More!

Sootradhar