वो अपने घर के दरीचों से झाँकता कम है's image
0432

वो अपने घर के दरीचों से झाँकता कम है

ShareBookmarks

वो अपने घर के दरीचों से झाँकता कम है

तअ'ल्लुक़ात तो अब भी हैं राब्ता कम है

तुम इस ख़मोश तबीअत पे तंज़ मत करना

वो सोचता है बहुत और बोलता कम है

बिला सबब ही मियाँ तुम उदास रहते हो

तुम्हारे घर से तो मस्जिद का फ़ासला कम है

फ़ुज़ूल तेज़ हवाओं को दोश देता है

उसे चराग़ जलाने का हौसला कम है

मैं अपने बच्चों की ख़ातिर ही जान दे देता

मगर ग़रीब की जाँ का मुआवज़ा कम है

Read More! Learn More!

Sootradhar